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अदभुत नरेन्द्र मोदी

Bheem Dutt Blogs
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जवाँ हाँ कहे या ना पर दिल जरूर कहेगा अदभुत हैं नरेंद्र मोदी!!! ऐसा क्या हुआ की मोदी जी को अद्भुत कहेंगे ऐसा क्या हो गया…. उनकी तारीफो के पुल क्यूँ बंधे जा रहे हैं? बीते दो वर्ष में देश को एक नयी दिशा मनो उन्होंने दी, पीछले १० सालों से जो देश में भ्रस्टाचार ओर नकारात्मक दौर था मनो उस पर देश का खोया हुआ गौरव वापस मिल गया ! विश्व में भारत को सकारात्मक ढंग से जाने जाना लगा क्या ये अदभुत नहीं है, कोई ये कह सकता है गरीबी तो नहीं गयी पर दो  साल में तो जाने वाली भी नहीं, कुछ तो समय लगेगा। पर यहां बात निस्वार्थ कर्म, सभी वर्गो का सम्मान उनके लिए सोचना और फिर प्राथमिक कदम उठाये है। कुछ लोग उनके सूट-बूट पहनने के तरीके पर बड़ा बबाल खड़ा करते हैं, कुछ लोग उनके कुर्ते को बड़े स्टाईलिश कहते है, पर इसमें बुरा क्या है- वो तो गरीब से लेकर अमीरी तक के व्यक्तित्व को प्रदर्शित करते है । धोती कुरता, जीन्स-कुरता, कोट पेंट, कमीज-टोपी पहना ही ये सिद्ध नहीं करता की आप ईमानदार, कर्मठ और समाज के सुभ चिंतक हैं, ऐसा करना एक प्रकार की संक्रिण मानसिकता को दिखलाता।  कुछ लोग तो उनके टोपी न पहने पर भी बड़ा हंगामा करते है, तो जो टोपी नहीं पहनते वे क्या उस धर्म में आस्था नहीं रखते हैं, लेकिन इस सत्य को एक सच्चा धर्मनिष्ठ व्यक्ति ही जान सकता। ओर यदि कोई केवल अपने फायदे के लिए ऐसा करे तो ये मिथ्याचार कहलायेगा । टोपी पहना अलग बात है ओर उस धर्म का अनुसरण करना अलग बात, प्रत्येक धर्म उस परम सत्ता तक पहुचने के लिए एक निश्चित मार्ग बतलाता है और उस धर्म का ठीक-ठीक अनुसरण उस परम सत्ता तक पहुचने की गारंटी देता है। मनो उन्होंने यह सन्देश दिया है सब धर्मों में आस्था रखो परन्तु अपने धर्म में अड़िग रहो।  भारत वर्ष की भूमि पर एक महान परमहंस का जन्म हुआ और उन्होंने सभी प्रमुख धर्मों की साधना करके उस धर्म के मर्म को जाना और इस निष्कर्ष पर पहुंचे सभी धर्म सत्य हैं और वे हमें एक ही परम् सत्ता तक पहुचाते हैं। उन्होंने कहा था जब में किसी एक धर्म की साधना में रत था तो उस धर्म के सभी नियमो को पालन करता था और उसी में रमा रहता था। इसलिए यह हमारे लिए जानना कितना आवस्यक है की राजनैतिक फायदे के लिए हम भावी पीढ़ी को एक बुरा सन्देश दे रहे है। कुछ एक लोग तो स्वांग रचते, कभी-कभी तो इन उलंघनों की पराकष्ठा को पार कर जाते  है इससे बड़ा अधर्म और क्या हो सकता हम एक झूट का प्रचार किया करते इस एक जन्म में करोड़ों में विरले ही अपने धर्म के मर्म को पहचान पाते तो दूसरे धर्म की अनुसरण प्रणाली की बात ही छोड़ ही दीजिये। इन बातों का मकसद दरसल कुछ नहीं अपना फयदा हैं परन्तु नरेंद्र मोदी जी इन सब से हट कर है जो वास्तव मैं धर्मनिष्ठ, इमानदार, ओर कर्मयोगी है ।

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